Monday, May 11, 2009

भावाभिव्यक्ति -कविता

संवेदनाओं के गहरे आकाश से ,मन के झंझावातों से ,संसार की अनंत पीड़ा से ,भावनाओं की नदी से उमड़कर निकली पंक्तियाँ ही कविता के रूप में प्रस्फुटित हुईये - वो दर्द है जो जाने अनजाने हमें टीसता रहा ,वो तन्हाईया हैं जो हमारे आसपास फ़ैली रहीं ,वो भावः है जो अभावों में भी हमारे पास रहे इस संसार में कुछ भी वर्तमान नही है ,सब कुछ देखते -देखते भूतकाल हो जाता है वक्त के हाथों कुछ भी नहीं बचता ,सब कुछ चकनाचूर हो जाता है ,पर अहसास को वक्त भी कुचल नहीं पता है यही अहसास जब तनहाइयों में दर्द से सराबोर होकर लेखनी का सहारा लेते हैं ,तो वही कविता बन जाती है मेरे जीवन में कुछ ऐसा घटित हुआ ,दर्द जब बढ़ गया और उसे अन्दर समेटना असंभव हो गया तो वो कलम का सहारा लेकर कविता के रूप में प्रगट हुई जीवन एक उत्सव है जीवन का मूल्य अकथनीय है एक पल के जीवन के लिए हम कुछ भी देने को राजी हो जाते हैं पर परमात्मा ने हमें जो जीवन दिया उसके लिए हम उसे धन्यवाद भी नही देते उस परमपिता परमात्मा और माता पिता को प्रणाम और धन्यवाद के साथ .................

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