Tuesday, May 19, 2009

दोस्ती

जिंदगी उदास है ,उसमें एक प्यास है,
मैं जिसे चाहती हूँ -वो मेरे आसपास है ,
प्रत्यक्ष में उसको देखना परखना चाहती हूँ
अहसास तो बहुत हैं -पर पास से महसूस करना चाहती हूँ
दोस्ती एक जज्बा है ,जो सब रिश्तों से बड़ा है ,
इस रिश्ते को अपने मन में उतारना चाहती हूँ ,
पर... दोस्ती जब रिश्ते में बदल जाती है ...
तो ये बुराइयों से भर जाती है ,
इसलिऐ ऐ दोस्त ......
दोस्ती को रिश्तों का नाम मत दो ,
इस दौलत को दुनियाँ की नज़रों में आने मत दो ,
वरना यह बुराइयों से भर सकती है ,
और जुदाई में बदल सकती है

1 Comments:

At June 14, 2009 at 8:27 PM , Blogger Pradeep Kumar said...

पर... दोस्ती जब रिश्ते में बदल जाती है ...
तो ये बुराइयों से भर जाती है ,
इसलिऐ ऐ दोस्त ......
दोस्ती को रिश्तों का नाम मत दो ,

wah kya baat hai
do line main zindagi ka poora sach kah diya. aapki har rachna main zindagi ka ek sach hai . lagtaa hai zindagi ne bahut kuchh sikhayaa hai aapko. ab to poora blog hi padhnaa padhega .

 

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