Thursday, May 21, 2009

अन्तर

तुम भी पागल -मैं भी पागल ,दोनों पागल इस जहाँ मैं ,
तुम हो पागल धन के पीछे -मैं हों पागल प्रभु वंदन मैं ,
तुम भी योगी मैं भी योगी -दोनों योगी इस जहाँ मैं ,
मैं हूँ योगी प्रभु चरण मैं -तुम हो योगी प्रियतमा मैं
तुम भी निर्धन मैं भी निर्धन -दोनों निर्धन इस जहाँ मैं ,
तुम हो निर्धन प्रभु चरण से -मैं हूँ निर्धन प्रियतमा से
दोनों का अन्तर भी देखा -दोनों की कीमत भी जानी ,
तुम भी नश्वर ,मैं भी नश्वर -दोनों नश्वर इस जहाँ में
छोड़कर जायेंगे जब हम दोनों नश्वर इस जहाँ से ,
मुक्ति होगी प्रभु चरण में ,क्या मुक्ति होगी प्रियतमा में.... ..?

1 Comments:

At May 22, 2009 at 6:59 PM , Blogger लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

prashn achchha hai aapka... sath hi uttar bhi aapki panktiyo me hi maujood hai........

 

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