Thursday, June 4, 2009

एक शेष स्मृति

उन पूज्य पिताजी की याद में जो हमसे बहुत दूर चले गए ::---
एक बार आप मुझे दर्शन दिखला जाइये -जिंदगी की तरफ़ मैं फिर से लौट जाऊँगी ,
आंसूओं की धार को ख़ुद हटा जाइये ,वेदना मैं सारी अपनी पी जाऊँगी
होंठ उनके कुछ हिले और चाह ज्यूँ मुझसे कही -
रूठ कर क्यों चल दिए जब राज़ सब मुझसे कहे ,
एक बार बस चाहतों को आप पूरी कर जाइये
सच कहती हूँ मैं आपकी बातें भूल जाऊँगी
गीता का सार हमको जीते जी मालूम न था
आपने मरकर के वो ज्ञान सब समझा दिया
एक बार आकर हमें वह उपदेश बस दे जाइए ,
सच में मैं आपके प्यार को भूल जाऊँगी
जो कही अनकही बातें आप संग हैं ले गए -
उन सभी चाहतों की ग्लानी हमको हो रही ,
ख़ुद आकर उन चाहतों को आप मिटा जाइए -
जिन्दगी की तरफ़ मैं फिर से लौट जाऊँगी

3 Comments:

At June 6, 2009 at 9:30 PM , Blogger हरकीरत ' हीर' said...

करुना जी अच्छा लिख रहीं हैं आप .....!!

 
At June 7, 2009 at 2:21 PM , Blogger शारदा अरोरा said...

वेदना की सशक्त अभिव्यक्ति आपने प्रस्तुत की | कहते हैं जाने वाले को पीछे से आवाज नहीं लगाते , वैसे भी उस लोक में फिर उनके आराम और शांति में बाधा पड़ती है , अपने बच्चों के आंसू उन्हें अधैर्यवान बना सकते हैं , इसलिए ईश्वर महान आत्माओं को स्वर्ग में आराम दे और वक्त मरहम बने , ऐसी कामना है |

 
At June 7, 2009 at 7:36 PM , Blogger Prem Farukhabadi said...

ख़ुद आकर उन चाहतों को आप मिटा जाइए -
जिन्दगी की तरफ़ मैं फिर से लौट जाऊँगी

बहुत सही कहा !!

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home