Friday, June 12, 2009

तस्वीर --एक सच

इक दिन हम भी तस्वीर हो जायेंगे ,
बोलते बोलते हम चले जायेंगे और एक फ्रेम मैं जड़ दिए ,
जायेंगे लोग आएंगे -फूल माला पहिनायेगे ,
हमारे गुणों का बखान करके चले जायेंगे
जो बहुत करीब हैं वो दो आंसू भी बहा जायेंगे
ये तो दुनिया का दस्तूर है कुछ अन्तर न आएंगे
इस दस्तूर को सब यूँ ही निभाते चले जायेंगे
शोक की मूल बात प्रयोजनीय वस्तु का खोना है
जो जितना प्रयोजनीय है उसके लिए उतना ही रोना है ,
जो चुक गया है किसी काम का नही -
उसके लिए क्यों इतना रोना है ,
अंतर्चित से विदा कर कहते हैं ,जीवन का तो अंत यही होना है
और सौजन्य का रंग चढ़ा कर कहते हैं
मृत्यु अमोघ है निश्चित है मृत्यु के लिए क्या रोना है
रे मानव यहाँ सब स्वार्थ के बंधन हैं -
स्वार्थ मैं बंधा तू इक खिलौना है ,
मृत्यु का शोक जीवन पर्यंत होना है ,
मृत होते ही देह के सांसारिक क्रिया मैं लगना है ,
लोग तैयारी मैं लग जाते हैं और कर्तव्य बोध में फंस जाते हैं
शोक गौण हो जाता है कर्तव्य मुख्य हो जाते हैं
आज जीवित देह कल राख में बदल जाती है -
और हमारी तस्वीर ,एक फ्रेम में लग जाती है ,
और हम तस्वीर हो जाते हैं

5 Comments:

At June 12, 2009 at 5:19 PM , Blogger अजय कुमार झा said...

करुना जी..अद्भुत गीता सार है जी...इस एंगल से तो हमने कभी सोचा ही न था...हाँ अच्छा है नेता नहीं हैं वरना तस्वीर के साथ मूर्ती भी लग जाती और तब कबूतर कौवे....हरी ॐ ..हरी ॐ...

 
At June 12, 2009 at 5:28 PM , Blogger Science Bloggers Association said...

जीवन के अन्तिम सत्‍य को बखूबी बयां किया है आपने। बधाई।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

 
At June 12, 2009 at 5:29 PM , Blogger ओम आर्य said...

achchhi rachana ......ram ka naam hi satya hai....mrityu nishchita hai

 
At June 12, 2009 at 7:21 PM , Blogger श्यामल सुमन said...

जीवन के कठोर सच पर आधारित यह रचना ठीक लगी। किसी ने कहा भी है कि-

मरने वाले से कोई रिश्ता बचेगा तो यही।
उसकी तस्वीर कमरे में लगा दी जाएगी।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.

 
At June 12, 2009 at 11:09 PM , Blogger Unknown said...

waah waah ! kya baat hai !

 

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