Tuesday, June 16, 2009

सीख

जिंदगी में तृप्त है गर कोई जहाँ में
ढूंढ़ कर लाओ उसी से ,सीख लूगीं पाठ तृप्ति का ,
स्रष्टि में गर मस्त है यादों में कोई
सीख लूगीं पाठ मै मस्ती का यूँही
है अगर खुश और बांटता है जो खुशी को
सीख लूंगी मैं उसी से खुश ही रहना ,
प्रेम से सोता है जो भी इस जहाँ में ,
सीख लूंगी नींद के आगोश में रहना ,
मुस्कराता है यहाँ जो यूँ सदा ही
-सीख लूंगी मैं उसी से मुस्कराना ,
हँस के जो करता है स्वागत अभावों का
सीख लूंगी मैं उसी से सत्कार करना
मैनें ढूँढा इन सभी को इस जहाँ में
पर निराशा ही मिली मुझको सदा ही
गर जो तुम ले आओगे कोई यहाँ पर
मैं खुदी को वार दूंगी उस सदा पर ||

3 Comments:

At June 16, 2009 at 2:46 PM , Blogger निर्मला कपिला said...

करुना जी कमाल है मुझे पता है कि कोई नहीं होगा ऐसा व्यक्ति जिस पर आपखुद को वारें कम से कम मैं तो नहीं ला सकती बहुत सुन्दर अभिवक्ति है आभार्

 
At June 16, 2009 at 3:30 PM , Blogger ओम आर्य said...

एक अच्छी प्रेरणादायक कविता जिसमे बहुत कुछ सिखने के लिये प्रोत्साहित करती है....

 
At June 16, 2009 at 4:54 PM , Blogger Prem Farukhabadi said...

हँस के जो करता है स्वागत अभावों का
सीख लूंगी मैं उसी से सत्कार करना
मैनें ढूँढा इन सभी को इस जहाँ में
पर निराशा ही मिली मुझको सदा ही
गर जो तुम ले आओगे कोई यहाँ पर
मैं खुदी को वार दूंगी उस सदा पर ||

Karuna ji,
sare sawalon ke jawab apnatv kii raah mein hi mil sakte hain, magar yah raah khud hi har kisi ko tay karni hogi.
rachna kaabile tareef hai.badhaai.

 

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