सुकून
आफताब से रौशनी चुराकर -
तुम्हारे लिए रौशनी का दिया जलाया है ,
तुम मुझे अपना मानो न मानो -
मैंने तुम्हें अपना बनाया है
वह सितम वह जलवे जो ढाए थे तुमने
मैंने उन्हें गले लगाया है ,
चाँद के चहरे पर दाग है लेकिन -
तुम्हारे दाग को मैंने धुलाया है
वह ओस की बूंद जो ठंडक पहुंचाती थी कभी
आज तुमने ही उसे मिटाया है ,
क्यों ढाते हो जुल्मों सितम इस मासूम दिल पर -
मैंने अपनी हस्ती को तुम्हारे लिए मिटाया है
थक गए हैं हम इस कश्मकश को निभाते हुए -
तुमने हर तीर हमारे दिल पर चलाया है
यह करुणा का सागर अथाह प्यार से भरा है -
आज दिल खोलकर तुमने इसमें नहाया है
ज़ब कभी तन्हा याद करोगे इस लम्हे को -
तो दावा है तड़प जाओगे ज़रूर -
हमें फख्र है कि हर दिन हम तड़फते रहे हैं -
लेकिन कम से कम एक दिन हमने तुम्हें तडफाया है
5 Comments:
सहनशीलता कथ्य में भरे अश्रु से नैन।
फिर तड़पाने कि लिए लगतीं क्यों बेचैन।।
अच्छे भाव की रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ज़ब कभी तन्हा याद करोगे इस लम्हे को -
तो दावा है तड़प जाओगे ज़रूर -
हमें फख्र है कि हर दिन हम तड़फते रहे हैं -
लेकिन कम से कम एक दिन हमने तुम्हें तडफाया है
khubsoorat hai panktiyan
क्यों ढाते हो जुल्मों सितम इस मासूम दिल पर -
मैंने अपनी हस्ती को तुम्हारे लिए मिटाया है
थक गए हैं हम इस कश्मकश को निभाते हुए -
तुमने हर तीर हमारे दिल पर चलाया है
waah bahut hi badhiya.
क्षमा कीजिएगा, पर पता नही लोग दर्द को अच्छा भाव, खूबसूरत या बढ़ियाँ क्यो कह रहे है! मुझे तो लगता है आपने जो दर्द सहा है, उस दर्द को शब्दों मे उतारा है और दर्द, वो भी इतना दर्द कभी खूबसूरत, बढ़िया या अच्छा नही हो सकता, दर्द तो केवल दर्द रहता है! ईश्वार से प्रार्थना करूँगी आपके लिए की, जल्द ही इस दर्द से आपको मुक्ति दे!
वह सितम वह जलवे जो ढाए थे तुमने
मैंने उन्हें गले लगाया है ,
ज़ब कभी तन्हा याद करोगे इस लम्हे को
तो दावा है तड़प जाओगे ज़रूर....
ख़ूबसूरत लगी आपकी ये पंक्तियाँ..........
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