मालरोड का द्रश्य
कुछ साडी में कुछ जम्पर में, कुछ पेंट में कुछ कुरते में ,
सब घूम रहे हैं मस्ती के आलम में मेले में ,
कुछ साथ चल रहे हैं -कुछ अलग -अलग हैं ,
कुछ हाथ पकड़े हैं कुछ अगल बगल हैं
मोटे पतले सभी खुश हैं अपनी ही धुन में ,
कुछ एसा ही द्रश्य था नैनीताल की माल रोड में
बच्चों का रेला आता था स्वाभाविकता में रचा हुआ ,
अल्हड युवतियों का रेला नक्शों से भरा हुआ
अधेड़ अपने को कमउम्र दिखाने में लगे हुए -
मनचले युवक युवतियों को रिझाने में लगे हुए
उम्रदराज अपनी बीबी को समझाते हुए -
अंग्रेज अपनी अंग्रेजियत झाड़ते हुए ,
छोटी -छोटी चीजें खरीदकर बच्चे खुश हैं ,
मानो जीवन की सारी खुशी मिल गई है ,
हर कुछ खरीदने में लगा पति पत्नी को मना रहा है -पर वह दुखी है
कुछ छातों को पकड़े हैं कुछ लाठी को पकड़े हैं ,
कुछ पोतों को पकड़े हैं कुछ नाती को पकड़े हैं
खुश हैं सभी कि नैनीताल घूम रहे हैं -
मस्ती के आलम में मालरोड घूम रहे हैं
हनीमून जोड़े सब तरफ़छा गए हैं ,
अपनी बीबी के फोटो उतार रहे हैं
बीबी अपने स्टाइलिश पोज दे रही हैं -
मुस्करा -मुस्करा कर पति को रिझा रही हैं
पति को क्या पता आज की मोनालिसा की सुन्दरता -
दो साल बाद बदल जायेगी ,
उनकी प्यारी सुंदर बीबी -
चुडैल सी नजर आयेगी ,
पर खुश हैं कि हनीमून में आए हैं
बीबी साथ में है -मालरोड घूम रहे हैं
समय पैसे खर्च करके चले जाते हैं
ख़ुद को बरबाद करके खुश हो जाते हैं ,
मैं अपने घर की खिड़की से देखकर सोचती हूँ
कि क्या ये सभी इतना ही खुश हैं जितना दिखा रहे हैं ,
या दुःख से भागकर खुशियों का नकाब चढा रहे हैं ,
या सबके सामने खुश होने का आडम्बर दिखा रहे हैं
कुछ भी हो कुछ श्रण की खुशी इनके सुख का आधार बनी है ,
भविष्य कैसा भी हो पर कम से कम वर्तमान तो सुखी है
1 Comments:
खुशी का आडम्बर ही सही चलो कुछ पल खुश तो हो लिये.
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