सपना
तसब्बुर में भी तेरी झील सी गहरी आखें दिखती हैं ,
जो दर्द नहीं प्यार से डूबने की याद दिलाती हैं ,
मैं रोज़ रात का इंतज़ार करता हूँ -
क्योंकि नींद नहीं सपनों में तू आती है ,
जब तेरे बिखरे गेसू मेरी सांसों से टकराते हैं -
तो रोते -रोते मेरे दर्द हंसने लग जाते हैं ,
मैं हकीकत समझ उनको पकड़ने लगता हूँ -
तो मेरी बीबी के बाल मेरे हाथ में आ जाते हैं
6 Comments:
बहुत ही गहराई है ..............खुब्सूरत
bahut sundar rachanaa hai.badhaai
बहुत बढ़िया कविता
वाह वाह बहुत बडिया बधाई
बहुत सुंदर रचना...
उम्दा भाव!
श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं-
आपका शुभ हो, मंगल हो, कल्याण हो.
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