कोई नही समझ पाया मेरे मन को -
एक गहरा श्वास सा आता है ,
निश्वास में जब श्वास लेतीहूँ -
तो एक आइना नज़र आता है ,
उस आईने के हर कोने में मुझे -
मेरा अतीत नज़र आताही
अतीत की हर शै पर कहीं -
जाले से पड़ गए हैं ,
भविष्य को क्या सवाँरे -
उसमें ताले से पड़ गए हैं
वर्तमान को जी रहे हैं ,पर उसमें
अतीत की टीस है ,रुस्वाइयां हैं ,
भविष्य को सवाँरे -ये ख्वाब है
पर उसमें अतीत की तन्हाइयां हैं
जब कोई पूछता है सबब परेशानी का
हम निरुत्तर हो जाते हैं ---क्योंकि
कुछ उत्तर बतलाने लायक नही होते ,
उन्हें महसूस किया जाता है ,
जैसे हवा का चलना, ओस की बूंद
भगवान् का अस्तित्व , धूप की गरमी
सामने हैं पर सिर्फ़ अहसास किए जाते हैं
वैसे ही दिल के दर्द महसूस किए जाते हैं ,
दर्द बतलाओ तो दर्द बयान् नही होता
पर दर्द एक है इसका अनुभव जुदा नही होता ........
5 Comments:
कुछ उत्तर बतलाने लायक नही होते ,
उन्हें महसूस किया जाता है ,
जैसे हवा का चलना, ओस की बूंद
भगवान् का अस्तित्व , धूप की गरमी
सामने हैं पर सिर्फ़ अहसास किए जाते हैं
बिलकुल सही कहा बहुत एहसास ऐसे होते हैं जो सिर्फ महसूस किये जाते हैं बधाई इस रचना के लिये
दर्द एक है इसका अनुभव जुदा नही होता........अतिसुन्दर सम्वेदनशील रचना
वैसे ही दिल के दर्द महसूस किए जाते हैं ,
दर्द बतलाओ तो दर्द बयान् नही होता
पर दर्द एक है इसका अनुभव जुदा नही होता ........
bahut khoob.........dil ko choone wali rachna...........sach dard ko abhivyakti nhi di ja sakti.
अतीत में सकूँ और दर्द दोनों होते हैं....
किस का त्याग करोगे ....?
अतीत और वर्तमान दे दवंद्व को बयाँ करती
अति सुंदर कविता है.....अमरजीत कौंके
दिल के दर्द महसूस किए जाते हैं ,
दर्द बतलाओ तो दर्द बयान् नही होता
bahut sundar kavita...bahut sahi kaha aapne..
regards:
Shubham jain
http://cmindia.blogspot.com
pratyek budhwaar aaiye aur baniye CM Quiz champion..
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