Monday, September 23, 2013

bhav

मिल जाते है मीत कभी पथ चलते चलते
चौराहे पर मिलने वाले मीत नहीं होते ।
शब्दों को बांधो चाहे जिस लय में
 दर्द नहीं हो जिन गीतों में वह गीत नहीं होते ।।

Thursday, May 2, 2013

मीत


हेल्लो दोस्तों  करीब चार  साल बाद आपके बीच फिर आई हूँ ,इस बीच मेरी तीन पुस्तकें पब्लिश हो गयी ,"'अभिनव -संग्रह '' कविता  संग्रह ''रघुवंश और रामचरित मानस ''तुलना और '  '' यथार्थ की चादर '' उपन्यास   एक नई कविता जो मैंने डी डी वन के कवि  सम्मलेन में प्रस्तुत की ,, आप के साथ शेयर कर रही हूँ \\
मिल जाते हैं मीत कभी पथ चलते चलते
चौराहे में मिलने वाले मीत नहीं होते
शब्दों  को  बांधों चाहें  जिस  लय  में ,,
दर्द  नहीं हो जिन शब्दों  में वो  गीत नहीं होते ,,,,,
हर  हंसने  वाले चॆहेरे  पर आकर्षण  है
किन्तु नहीं  प्रत्येक  हसीं  में अपनापन  है ,
नहीं  ठहरती  नज़र कहीं  भी  किसी रूप पर
कभी  अटक  जाता वैरागी  मन है '''''''''''''
चौराहे  का मीत अगर  पथ साथ निभा दे जीवन भर
सपनों  के  कन्धों पर अरमान नहीं संजोते  हैं ,,
जो मिलते हैं राह चले वो  साथ सदा ही निभाते हैं
पर जीवन की धुप छाँव को खेल कहाँ हम पाते हैं '''''''
अरमानों की लाशों पर प्यार के गीत नहीं होते
 चौराहों पर मिलने वाले मीत नहीं होते ,,,,,,मीत नहीं होते ,,,,,,मीत नहीं होते ,,,,,,,,

Monday, November 9, 2009

सब कुछ लुटाकर रह गए

रिश्तों के गलियारों में हम अकेले रह गए ,

सोचते हैं बैठकर हम क्यों अकेले रह गए ,

जब तड़प तुमने करी थी -हमने दामन ही बढाया ,

आज अपना रीता दामन लेकर हम रह गए

इस जहाँ के हर रिश्ते को हमने सदा श्वास दिया ,

आज जब देखा उन्हें निश्वास होकर रह गए

हर जगह कुर्बान की हैं हमने दिलों की महफिलें ,

आज दिल में सैकडों आघात लेकर रह गए

छोड़ दो इन रिश्तों को- बस जिंदगी का लुत्फ़ लो ,

पर क्या करे अब लुत्फ़ लेकर -हम सब कुछ लुटा कर रह गए

Tuesday, October 20, 2009

दीप जलाओ इस तरह

अंधकार को भगाओ कुछ यूं दीप जलाकर
कि धरा जगमगा उठे -मुस्कराकर
रोशनी इतनी करो आकाश तक -
कि पंछी ,तारे चाँद सब उतरे धरा पर ,
अंधकार मन का हटा दो ,ज्ञानदीप जलाकर -
खिल उठे मानव मन प्यार से मुस्कराकर ,
दीप सिर्फ़ एक घर पर मत जलाओ -
बाँट दो दीप प्यार का हर कोने में धरा पर ,
विश्व के किसी कोने में गर अँधेरा रह जाएगा -
तो दीप जलाने वाले का ख्वाब अधूरा रह जाएगा ,
इसलिए एक दीप जला शहीदों की मजारों पर ,
गरीबों की बस्तियों पर -उदासी की राहों पर ,
गर तूने प्रकाश फैला दिया विश्व के मानस पटल पर -
देखना तेरा घर ख़ुद ही रोशन हो जाएगा
सभी को दीपावली की शुभ कामनाएं ----
कुछ ऐसे कारण रहे कि ब्लॉग से संपर्क न बना सकी सभी को बहुत मिस किया पर अब लगातार संपर्क में रहूँगी
इसी उम्मीद के साथ -----आप सभी को एक बार फ़िर दीपावली की शुभ कामनाएं -----

Thursday, September 24, 2009

क्यूँ नहीं किया

रूप का साक्षात्कार क्यूँ नहीं तुमने किया ,
दर्द का इक अहसास क्यूँ नहीं तुमने किया ,
शम्मा की तरह जलती रहीं तुम रात भर ,
क्यूँ नहीं परवाने से प्यार है तुमने किया
गर्दिशे जब भी पडी हाथ थामा है उसी का ,
आज जन्नत की राह में याद क्यूँ न उसको किया ,
थी सजी महफ़िल तुम्हारी इश्क का दामन लिए ,
क्यूँ रही रूठी यहाँ यूं -इकरार न उससे किया
आज क्यूँ यूं रो रही हो वक्त के चुक जाने पर ,
प्यार लेकर जब बढ़ा वो ,एतवार क्यूँ न किया
थक गए ये चाँद सूरज ,थक गई है रौशनी ,
महफिलें जब सज रहीं थी -इस्तकबाल क्यूँ न किया

Sunday, September 6, 2009

टीस और दर्द


कोई नही समझ पाया मेरे मन को -

एक गहरा श्वास सा आता है ,

निश्वास में जब श्वास लेतीहूँ -

तो एक आइना नज़र आता है ,

उस आईने के हर कोने में मुझे -

मेरा अतीत नज़र आताही

अतीत की हर शै पर कहीं -

जाले से पड़ गए हैं ,

भविष्य को क्या सवाँरे -

उसमें ताले से पड़ गए हैं

वर्तमान को जी रहे हैं ,पर उसमें

अतीत की टीस है ,रुस्वाइयां हैं ,

भविष्य को सवाँरे -ये ख्वाब है

पर उसमें अतीत की तन्हाइयां हैं

जब कोई पूछता है सबब परेशानी का

हम निरुत्तर हो जाते हैं ---क्योंकि


कुछ उत्तर बतलाने लायक नही होते ,


उन्हें महसूस किया जाता है ,


जैसे हवा का चलना, ओस की बूंद


भगवान् का अस्तित्व , धूप की गरमी


सामने हैं पर सिर्फ़ अहसास किए जाते हैं


वैसे ही दिल के दर्द महसूस किए जाते हैं ,


दर्द बतलाओ तो दर्द बयान् नही होता


पर दर्द एक है इसका अनुभव जुदा नही होता ........


Wednesday, September 2, 2009

यादें

सभांल कर रख ले इन लम्हों को
यह लम्हें यादें बन जाएगें
,याद करना मुस्कराकर इन पलों को ऐ दोस्त
जब हम न जाने कहां होंगे ,तुम न जाने कहां होगे
-एक हल्की सी मुस्कान आपके होंठो पे ज़रूर आयेगी,
ये वो यादें हैं जो थोड़ा आपको तड़पायेगी
,आप माने या न माने पर दावा है मेरा
यह यादें आपको फिर तरसायेंगी
और तुम फिर इक बार इस उम्र को याद करके
ख़ुद को ताज़ा महसूस करोगे
,इसीलिये कहती हूँ संभाल कर रख लो इन लम्हों को
--यह लम्हे मधुर यादें बन जायेंगे ............