Sunday, May 31, 2009

दर्द

दर्द ही जीवन है ,दर्द ने आकर ले लिया -

दर्द जब दर्द से मिला -दर्द साकार हो गया,

जब तक दर्द है जीवन ज़िन्दगी है-

ख़त्म हो जाए दर्द तो मौत से बदतर ज़िन्दगी है ,

मौत आजाये तो तन दर्द से महरूम हो जाता है -

श्वास के रहने पर ही मानव दर्द महसूस कर पाता है

कौन कहता है अभाव में भाव नही होता -

पर उसे बयाँ करने का अंदाज़ जुदा होता है ,

अभाव एक मेहमान बनकर आए तो कदाचित स्वागत करे -

पर जीवन भर अभावों को निभाना मुश्किल होता है

Saturday, May 30, 2009

मैंने तो बस बीज फेंका इस जहाँ में ,

तुम उसे हर रोज़ बस खाद देना ,

बन के जब वह व्रक्ष लहराएगा -

फूल और फल तुम ही चूम लेना ,

याद करना तुम मुझे -संकल्प मेरा -

कोई न रह जाए अनाथ यहाँ अकेला ,

मैं रहूं या न रहूं जब इस जहाँ में -

नाम न हो मेरा कहीं पर भी मैला ,

तुम हो मेरे अक्स और प्रतिबिम्ब मेरा -

दूर कर दो इस जहाँ का घनघोर अँधेरा ,

है सफल जीवन वही जो करे कुछ इस जहाँ में -

अपने तन के वास्ते ही आना नही ,क्या है झमेला ,

कर सको गर कर सकते हो देश हित में -

दींन के हित में सदा करते रहो तुम यूं सवेरा ,

है जो तन कोमल तुम्हारा .मिट्टी में मिल जाएगा

देह देकर राष्ट्र हित तुम जो करोगे ,बस नाम वह रह जाएगा

Wednesday, May 27, 2009

खालीपन

भीड़ में रहकर भी अकेले क्यों हुए ,
जल में रहकर भी हम प्यासे ही रहे ,
सोचती हूँ यह बात मैं यूँही हर समय ,
जिंदगी पाकर भी मुर्दा क्यों रहे --
हमने प्यार विश्वास अपनापन उनको दिया ,
पर उनके विश्वास के काबिल हम क्यों न हुए ,
सब देकर के उनको हम बहुत खुश हुए ,
विश्वसनीय होकर भी हम अविश्वसनीय क्योंकर हुए

Tuesday, May 26, 2009

भ्रम

दूर पेड़ों के झुरमुट में ,पहाडों के बीच

जलती टिमटिमाती लौ को देखा

मन में एक प्रश्न कौंधा -जानना चाहा --कौन है ?

कौन है -जो अंधकार को भगा रहा है ,

अपने दीप का तेल जलाकर ,रात को प्रकाश दिखा रहा है ,

निस्तब्ध नीरवता में अटल खड़ा है -

रातभर जागकर दूसरों के लिए लड़ रहा है ,

अपने जीवन की बलि देकर समाज सेवा कर रहा है -

कौन है ?जो इतना महान है

इरादे बुलंद हैं ,हम सा इंसान है ,

रात के सन्नाटे में सब सो रहे हैं ,

जो दुखी हैं वो रो रहे हैं

पर वह महान है जो इन सबसे दूर

नीरव पहाडों के बीच अपना सर्वस्य देकर ,

अंधकार को हटा रहा है

मन में कौतुहल सँजोकर -कुछ अनुत्तरित प्रश्न लेकर

मैं चल पडी उस दिशा की तरफ़ --

लोंगो की आवाजाही देखी तो --

मन मस्तक श्रध्दा से भर गया ,

टिमटिमाती लौ में मन सेवा भावः से भर गया ,

जब और पास गयी तो मन टूट गया ,

श्रध्दा और प्रेम का जल जो मन में था सूख गया ,

क्योंकि वहां कोई किसी का अन्धकार नही भगा रहा था --,

एक नेता शराब खाना चला रहा था --

शराब खाना चला रहा था .....

Thursday, May 21, 2009

अन्तर

तुम भी पागल -मैं भी पागल ,दोनों पागल इस जहाँ मैं ,
तुम हो पागल धन के पीछे -मैं हों पागल प्रभु वंदन मैं ,
तुम भी योगी मैं भी योगी -दोनों योगी इस जहाँ मैं ,
मैं हूँ योगी प्रभु चरण मैं -तुम हो योगी प्रियतमा मैं
तुम भी निर्धन मैं भी निर्धन -दोनों निर्धन इस जहाँ मैं ,
तुम हो निर्धन प्रभु चरण से -मैं हूँ निर्धन प्रियतमा से
दोनों का अन्तर भी देखा -दोनों की कीमत भी जानी ,
तुम भी नश्वर ,मैं भी नश्वर -दोनों नश्वर इस जहाँ में
छोड़कर जायेंगे जब हम दोनों नश्वर इस जहाँ से ,
मुक्ति होगी प्रभु चरण में ,क्या मुक्ति होगी प्रियतमा में.... ..?

Tuesday, May 19, 2009

दोस्ती

जिंदगी उदास है ,उसमें एक प्यास है,
मैं जिसे चाहती हूँ -वो मेरे आसपास है ,
प्रत्यक्ष में उसको देखना परखना चाहती हूँ
अहसास तो बहुत हैं -पर पास से महसूस करना चाहती हूँ
दोस्ती एक जज्बा है ,जो सब रिश्तों से बड़ा है ,
इस रिश्ते को अपने मन में उतारना चाहती हूँ ,
पर... दोस्ती जब रिश्ते में बदल जाती है ...
तो ये बुराइयों से भर जाती है ,
इसलिऐ ऐ दोस्त ......
दोस्ती को रिश्तों का नाम मत दो ,
इस दौलत को दुनियाँ की नज़रों में आने मत दो ,
वरना यह बुराइयों से भर सकती है ,
और जुदाई में बदल सकती है

Monday, May 18, 2009

खवाब

ख्वाब तो ख्वाब है ,पूरा नही होता
जो पूरा हो जाए ,वो ख्वाब नहीं होता
ख़्वाबों की दुनिया में सब अपने ही होते हैं ,
कोई दुश्मन नही होता कोई दोस्त नही होता
इस्जग की रेलमपेल में भीड़ बहुत है ,पर -
सब चलते अकेले हैं ,कोई हमसफ़र नही होता
मैंने जो सोचा था ,तू मेरा ही साया है ,
ये सोच बदल दी जीवन ने ,कोई हमसाया नहीं होता
ये स्वप्न जो देखा था ,दुनिया को सजाने का -
स्वप्न -स्वप्न ही रहता है ,सच्चा नही होता

प्रेरणा

तुम जो होते सामने तो इस ह्रदय में ,

प्यार प्रणय की है धार बहती

हो सके तो मोड़ डालो

इस प्रणय की धार को तुम

|तुम होते सामने तो इस ह्रदय

वेदना के स्वरों में विरह होता ,

हो सके तो मोड़ डालो विरह के

इन स्वरों को प्रभू चरण में ||

Monday, May 11, 2009

भावाभिव्यक्ति -कविता

संवेदनाओं के गहरे आकाश से ,मन के झंझावातों से ,संसार की अनंत पीड़ा से ,भावनाओं की नदी से उमड़कर निकली पंक्तियाँ ही कविता के रूप में प्रस्फुटित हुईये - वो दर्द है जो जाने अनजाने हमें टीसता रहा ,वो तन्हाईया हैं जो हमारे आसपास फ़ैली रहीं ,वो भावः है जो अभावों में भी हमारे पास रहे इस संसार में कुछ भी वर्तमान नही है ,सब कुछ देखते -देखते भूतकाल हो जाता है वक्त के हाथों कुछ भी नहीं बचता ,सब कुछ चकनाचूर हो जाता है ,पर अहसास को वक्त भी कुचल नहीं पता है यही अहसास जब तनहाइयों में दर्द से सराबोर होकर लेखनी का सहारा लेते हैं ,तो वही कविता बन जाती है मेरे जीवन में कुछ ऐसा घटित हुआ ,दर्द जब बढ़ गया और उसे अन्दर समेटना असंभव हो गया तो वो कलम का सहारा लेकर कविता के रूप में प्रगट हुई जीवन एक उत्सव है जीवन का मूल्य अकथनीय है एक पल के जीवन के लिए हम कुछ भी देने को राजी हो जाते हैं पर परमात्मा ने हमें जो जीवन दिया उसके लिए हम उसे धन्यवाद भी नही देते उस परमपिता परमात्मा और माता पिता को प्रणाम और धन्यवाद के साथ .................

Thursday, May 7, 2009

पुरूष पत्नी को सबसे ज्यादा प्यार करता है ,

इसलिये नही -किवो तुम्हारी पूजा करता है

और न इसलिए कि उसके बच्चों की मां हो और वो आदर देता है ,

वरन तुम भोग्याहो ,और वो तुम्हें भोगता है ,

मां ,बहन ,बेटी सारे रिश्ते दूर हो जाते हैं ,

संसार की धूल में मिल जाते हैं

जब तक मां से मतलब होता है ,वो श्रेष्ठ मां कहलाती है

स्वार्थ निकलने पर रिश्तों की गरिमा कम हो जाती है ,

स्त्री को अक्सर भोगता है ,इसलिए महिमा बनी रह जाती है ,

पत्नी का रिश्ता इतना अपना होता ,

तो एक पत्नी के रहते दूसरी क्यों रखते ,

किसी दुसरी के मोहपाश में क्यों रहते

जो समाज में हिम्मत नही कर पाते हैं

वो ही हमेशा ख़ुद को पत्नीव्रता कहलाते हैं ,

वरना छिपी ख्वाहिश सबमें किसी और को भोगने की होती है ,

अगर इनकी ब्रेन मैपिंग कराये तो चौकानें वाले नतीजे सामने आते है

अरे मुर्ख स्त्रियों तुम भोग्या बनकर खुश होतीहो ,

यही हमारी नियति है ,सोच सोचकर आह भर्ती हो ,

पति के मरने पर सती होना बहुत सुना है ,

पर पत्नी के साथ कोई सती नही होता ,

अरे दुःख तो तब होता है जब --चिता की आग दंधी नही होती

और विधुर का रिश्ता पक्का होता है ,

तुम्हारे सामने तुम्हारा ही रहूँगा कहने वाला पति -

तुम्हारे मरते ही नयी पत्नी ले आता है ,

पति के मरने पर गरीब मां चार बच्चों को पल लेती है ,

पर पत्नी के मरने पर पति एक बच्चे को नही पाल पाटा ,

बच्चों की खातिर शादी करने वाला बाप धीरे धीरे

बच्चों का सौतेला बाप बन जाता है ,

शादी करके वो भोग्या को फिर भोगने लग जाता है

Tuesday, May 5, 2009

वक्त की कीमत

वक्त की कीमत क्या है ये पूछो उससे ,जो वक्त के हर पल को तरसता रहा
जिसने खाया हँ खाना स्वादिष्ट सदा ,भूख क्या है उसको नहीं है पता
भूख क्या है यह जानता है वही ,जो महीनों भोजन को तरसता रहा
ऊँची अटारी में रहने वाले ,नही -बतला सकते हैं पेड की छाँव का मज़ा
गर मज़ा पूछना है छाँव का ,पूछो उससे चिलचिलाती धूप में जो है पैदल चला
ज़िन्दगी की कीमत नही जानते हैं सभी ,कीमत पूछो उससे जो मौत के साये मैं है पला