Thursday, September 24, 2009

क्यूँ नहीं किया

रूप का साक्षात्कार क्यूँ नहीं तुमने किया ,
दर्द का इक अहसास क्यूँ नहीं तुमने किया ,
शम्मा की तरह जलती रहीं तुम रात भर ,
क्यूँ नहीं परवाने से प्यार है तुमने किया
गर्दिशे जब भी पडी हाथ थामा है उसी का ,
आज जन्नत की राह में याद क्यूँ न उसको किया ,
थी सजी महफ़िल तुम्हारी इश्क का दामन लिए ,
क्यूँ रही रूठी यहाँ यूं -इकरार न उससे किया
आज क्यूँ यूं रो रही हो वक्त के चुक जाने पर ,
प्यार लेकर जब बढ़ा वो ,एतवार क्यूँ न किया
थक गए ये चाँद सूरज ,थक गई है रौशनी ,
महफिलें जब सज रहीं थी -इस्तकबाल क्यूँ न किया

Sunday, September 6, 2009

टीस और दर्द


कोई नही समझ पाया मेरे मन को -

एक गहरा श्वास सा आता है ,

निश्वास में जब श्वास लेतीहूँ -

तो एक आइना नज़र आता है ,

उस आईने के हर कोने में मुझे -

मेरा अतीत नज़र आताही

अतीत की हर शै पर कहीं -

जाले से पड़ गए हैं ,

भविष्य को क्या सवाँरे -

उसमें ताले से पड़ गए हैं

वर्तमान को जी रहे हैं ,पर उसमें

अतीत की टीस है ,रुस्वाइयां हैं ,

भविष्य को सवाँरे -ये ख्वाब है

पर उसमें अतीत की तन्हाइयां हैं

जब कोई पूछता है सबब परेशानी का

हम निरुत्तर हो जाते हैं ---क्योंकि


कुछ उत्तर बतलाने लायक नही होते ,


उन्हें महसूस किया जाता है ,


जैसे हवा का चलना, ओस की बूंद


भगवान् का अस्तित्व , धूप की गरमी


सामने हैं पर सिर्फ़ अहसास किए जाते हैं


वैसे ही दिल के दर्द महसूस किए जाते हैं ,


दर्द बतलाओ तो दर्द बयान् नही होता


पर दर्द एक है इसका अनुभव जुदा नही होता ........


Wednesday, September 2, 2009

यादें

सभांल कर रख ले इन लम्हों को
यह लम्हें यादें बन जाएगें
,याद करना मुस्कराकर इन पलों को ऐ दोस्त
जब हम न जाने कहां होंगे ,तुम न जाने कहां होगे
-एक हल्की सी मुस्कान आपके होंठो पे ज़रूर आयेगी,
ये वो यादें हैं जो थोड़ा आपको तड़पायेगी
,आप माने या न माने पर दावा है मेरा
यह यादें आपको फिर तरसायेंगी
और तुम फिर इक बार इस उम्र को याद करके
ख़ुद को ताज़ा महसूस करोगे
,इसीलिये कहती हूँ संभाल कर रख लो इन लम्हों को
--यह लम्हे मधुर यादें बन जायेंगे ............