मौत आई तो जिंदगी से प्यार हो गया
कल की आस में हम आज का जहर पी रहे -
तसब्बुर में भी तेरी झील सी गहरी आखें दिखती हैं ,
कई बार महसूस हुआ कि मुहब्बत की घटना घटेगी ,
Labels: केनवैस अस्तित्व, रंग
इस स्रष्टि में हर व्यक्ति ही अनूठा होता हैचाहे वह सच बोले चाहे वह झूठा होता है
व्यक्ति व्यक्ति से मिलकर ही -ये स्रष्टि यहाँ पर सजती है
है यह हँमारी अलग अलग द्रष्टि हर व्यक्ति पर जो बनती है
जैसी द्रष्टि होगी तेरी -वैसी ही वृष्टि बनेगी तेरी
जो रूप धरेगा नैनों में ,बन जायेगी वो कृति
तेरी नव कृति का आधार ,होती है तेरी ही द्रष्टि
तू सभंल -सभंल कर चल मानव खो न जाए कंही तेरी कृति
स्रष्टि में व्यक्ति व्यक्ति में द्रष्टि- द्रष्टि से वृष्टि ,वृष्टि से कृति बनती है
तू गलतआंकलन मत करना ,धुंधला जायेगी तेरी हर कृति
कुछ साडी में कुछ जम्पर में, कुछ पेंट में कुछ कुरते में ,
यह कविता मैंने अस्पताल में लिखी मेरे श्वसुरजी का आपरेशन था इस दरम्यान अस्पताल में रही ,वहां की पीड़ा देखी ,मन रो उठा उन्ही को कविता के रूप में उकेरने का प्रयास है प्रभू सबकी रक्षा करे