पुरूष पत्नी को सबसे ज्यादा प्यार करता है ,
इसलिये नही -किवो तुम्हारी पूजा करता है
और न इसलिए कि उसके बच्चों की मां हो और वो आदर देता है ,
वरन तुम भोग्याहो ,और वो तुम्हें भोगता है ,
मां ,बहन ,बेटी सारे रिश्ते दूर हो जाते हैं ,
संसार की धूल में मिल जाते हैं
जब तक मां से मतलब होता है ,वो श्रेष्ठ मां कहलाती है
स्वार्थ निकलने पर रिश्तों की गरिमा कम हो जाती है ,
स्त्री को अक्सर भोगता है ,इसलिए महिमा बनी रह जाती है ,
पत्नी का रिश्ता इतना अपना होता ,
तो एक पत्नी के रहते दूसरी क्यों रखते ,
किसी दुसरी के मोहपाश में क्यों रहते
जो समाज में हिम्मत नही कर पाते हैं
वो ही हमेशा ख़ुद को पत्नीव्रता कहलाते हैं ,
वरना छिपी ख्वाहिश सबमें किसी और को भोगने की होती है ,
अगर इनकी ब्रेन मैपिंग कराये तो चौकानें वाले नतीजे सामने आते है
अरे मुर्ख स्त्रियों तुम भोग्या बनकर खुश होतीहो ,
यही हमारी नियति है ,सोच सोचकर आह भर्ती हो ,
पति के मरने पर सती होना बहुत सुना है ,
पर पत्नी के साथ कोई सती नही होता ,
अरे दुःख तो तब होता है जब --चिता की आग दंधी नही होती
और विधुर का रिश्ता पक्का होता है ,
तुम्हारे सामने तुम्हारा ही रहूँगा कहने वाला पति -
तुम्हारे मरते ही नयी पत्नी ले आता है ,
पति के मरने पर गरीब मां चार बच्चों को पल लेती है ,
पर पत्नी के मरने पर पति एक बच्चे को नही पाल पाटा ,
बच्चों की खातिर शादी करने वाला बाप धीरे धीरे
बच्चों का सौतेला बाप बन जाता है ,
शादी करके वो भोग्या को फिर भोगने लग जाता है